Sunday, October 24, 2010

सीने में कैद दरिया

है जो सीने में कैद दरिया, कैसे तुझे दिखाऊं मैं
लगी है जो दिल में आग, कैसे उसे बुझाऊं मैं
एक जमाना तेरा इंतजार किया, तेरी याद में खुद को निलाम किया
जालिम तू फिर भी ना आई, जालिम तू फिर भी ना आई
दिल की ये प्यास कैसे बुझाऊं मैं
तेरी याद में तड़पता रहा, हर मोड़ पे तुझे ढूंढता रहा
आखिरकार तू सामने आई,पर हाय री किस्मत तू मुझे पहचान ना पाई
कसूर तेरा है या मेरा, जानता नहीं हूं मैं
इसी सवाल ने नीदों को हराम किया, दिल का चैन छीन लिया
अपने दिल को कैसे समझांऊ मैं....

Tuesday, October 19, 2010

दर्द

इतना मत तड़पा कि आंख में आंसू आए, इतना कहर मत बरपा कि जान निकल जाए
तू इतनी पत्थर दिल क्यूं है, तुझसे मिला ये दर्द इतना हसीन क्यूं है

तेरी आंखों में एक वादा देखा था, मेरे दिल ने एक सपना देखा था
सोचा नहीं था ये घड़ी भी आएगी, जो जीते जी बेदम कर जाएगी

क्या कसूर है मेरा अब ये भी समझा दे, तेरे दिल में छुपी मेरी औकात भी समझा दे
तुझे फरेब कहुं या दर्द की देवी कहूं, मुझ जिंदा लाश को भी बता दे

Thursday, October 14, 2010

सवाल

क्यूं दिल की बात लबों पर आकर ठहर जाती है
कयूं दिल की आवाज़ मुझे हिलाती है

हर पल उसकी याद साथ होती है
फिर क्यूं भरी महफिल में अकेला कर जाती है

मन में उसी की नाम गूंजता है
दिल उसी के लिए धड़कता है

क्या उसे भी पता चलता है
जानता हूं वो सब समझती है फिर क्यूं वो अनजान दिखाई देती है

यही बात खटकती है
क्यूं वो दूर-दूर रहती है

क्यूं उसकी मुस्कुराहट मेरे करीब नहीं होती है
क्या उसके भी दिल की धड़कन मेरी आवाज से तेज होती है
अगर ये सब सच है तो क्यूं वो अपने कदमों को रोकती है..

Tuesday, October 12, 2010

तेरे नाम...

मत भेज कोई पैगाम, हम इंतजार में जी लेंगे
तेरे दिए ज़ख्म हंसकर सह लेंगे
जहां तेरी जुदाई सही है, वहां ये गम भी सह लेंगे
अब तो आदत सी हो गई है तेरी याद में तड़पने की
दिल में लगी है आग, बस तुझे एक बार देखने की
तेरी खूबसुरती का दिदार चाहता हूं, मैं उम्र भर तेरा प्यार चाहता हूं
तेरे सपनों में खोया हुआ हूं, तेरी याद में खोया हुआ हूं
फिर से उसी खूबसूरत नजर से देख मुझे, या आकर कत्ल कर मुझे
आज भी याद है, वो पहली घड़ी जब तुने अपनी नजरों से मेरे दिल को छुआ था
उस वक्त मेरे दिल में प्यार का तूफान उठ खड़ा हुआ था
हर तरफ तू ही नजर आती है,तेरी खूबसूरती एक प्यास जगाती है
बस अब ओर क्या बयान करूं, एक तू कह कर तो देख
अपनी जान तुझ पर वार दूं.....

Thursday, October 7, 2010

जज्बातों का तूफान

वो कहते हैं, जमाने की निगाहों से बचकर रहा करो, प्यार का इजहार खुलकर कर मत किया करो।
हम कहते हैं, जज्बातों के तूफान को रोक सकें, ऐसे मर्ज का इलाज भी बता दिया करो।

वो कहते हैं, निगाहें इल्जाम लगा देंगी, भरे बाजार नीलाम करा देंगी।
हम कहते हैं, निगाहें कोई शाही फरमान नहीं, जो क़िस्मत का फैसला सुना देंगी।

वो कहते हैं, अभी सही वक्त नहीं है महोब्बत का, दिल के जज्बातों को लगाम दिया करो।
हम कहते हैं, महोब्बत पर कैसे कसी जाती है, जरा हमें भी समझा दिया करो।

वो कहते हैं, मुलाकात नहीं हो सकती, कोई देख लेगा तो रुसवाई होगी।
हम कहते हैं, महोब्बत है वो मुक़द्दस आलम, जिससे ख़ुदा की इबादत होगी।

वो कहते हैं, तुम पर यक़ीन नहीं होता, दिल में महोब्बत का चिराग यूं रोशन नहीं होता।
हम कहते हैं, तुम पर मर मिटे हैं जानम, इससे बड़ा सुबूत कोई और नहीं होता।