Tuesday, November 16, 2010

क्या आपका घर वाकई सुरक्षित है?

देश की राजधानी दिल्ली के लक्ष्मीनगर में एक 5-मंजिला इमारत गिरने से तकरीबन 64 लोग मौत की नींद सो गए और सैकड़ों घायल हो गए। जर्जर नीव के कारण इमारत ढह गई और निर्दोष लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी। कसूरवार बिल्डिर फरार हो चुका है। यही नहीं, इमारत के ऊपर दो मंजिलों का निर्माणकार्य जारी था। यह अत्यंत निंदनीय है कि पैसे के लालच में कुछ बिल्डर जान की कीमत ही भूल जाते हैं। इंसान ही इंसान की जान की कीमत भूल गया है। इमारत की बेसमेंट में पानी भरा रहता था जिसपर किसी ने ध्यान ही  नहीं दिया। इमारत में रहने वालों ने शायद सोचा ही नहीं होगा कि आने वाली शाम मौत  का पैगाम लेकर आएगी। घटना के बाद कई बचाव कार्य किए गए। घायलों को अस्पताल ले जाया गया। लेकिन क्या मात्र बचाव कार्य करने से ही इन भयानक समस्याओं पर अंकुश लग जाएगा? निश्चत रूप से नहीं। यह सब जानते हुए भी आखिर क्यों इमारत गिरने के हादसे होते हैं। जवाब हम सबके पास है, लेकिन 'राम भरोसे' चलने की आदत ही ऐसी विपदाओं को जन्म देती है। जब तक घर में रहने वाला ही सचेत नहीं होगा, तबतक समस्या से छुटकारा पाना मुश्किल है। परंतु केवल सचेत होने भर से काम चलने नहीं वाला। दोषी बिल्डरों के खिलाफ सख्त कानून बनने चाहिए, जिससे इंसानी जिंदगी से खेलने की हिम्मत फिर किसी के दिमाग में न आए। बिल्डरों का दुस्साहस केवल कानून की कमजोरी से ही जागता है। कानून के प्रति सम्मान की भावना लोप हो चुकी है। अब केवल डर ही काम करता है और जब वो डर ही न हो तो अपराधी ही जन्म लेंगे।
जिस इलाके में इमारत गिरी वहां यह नियम था कि 3- मंजिला इमारत ही बन सकती है, लेकिन बावजूद इसके इमारत बनाने  की आज्ञा डीडीए( दिल्ली नगर  निगम) द्वारा दी गई। सरकार को इसका जवाब देना चाहिए।
दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने मृतकों के परिवारों के लिए 2 लाख रुपये और घायलों के लिए 50 हजार रुपये के मुआवजे की घोषणा की लेकिन सवाल यह उठता है कि अवैध तरीके से बनाई इमारत को सही करने की जिम्मेदारी क्या शीला सरकार की नहीं थी? इस हादसे के असली दोषी सरकार के नेता हैं जो अवैध निर्माण को मंजूरी देते हैं। जिन परिवारों के लोग हादसे में मारे गए वो पीछे सिर्फ मातम छोड़ गए लेकिन सबक भी छोड़  गए कि आंख बंद कर लेने से जिंदगी सुरक्षित नहीं हो जाती। इमारत में रह रहे लोगों द्वारा यदि समय पर आवाज उठाई गई होती तो यह हादसा नहीं होता। जरूरत है जनता के जागृत होने की। हादसे के बाद कितना परिवर्तन देखने को मिलेगा यह तो वक्त ही बताएगा।

Wednesday, November 10, 2010

ओबामा का खेल

दुनिया के सबसे ताकतवर देश के राष्ट्रपति बराक हुसैन ओबामा का भारत दौरा भारतीयों की नजर से अच्छा रहा। कई मुद्दों पर दोनो शक्तियों के बीच अहम करार हुए। ओबामा ने स्वयं को महात्मा गांधी से प्रभावित बताया। उस वक्त शायद ओबामा महोदय यह भूल गए कि अमेरिका ही पाकिस्तान को हथियार उपलब्ध करवाता आया है। जिस अमेरिका ने जापान पर एटम बम गिरा दिया था। जिस अमेरिका ने अफगानिस्तान में कत्लेआम करवाया था। ओबामा के हाथ में कमान आने के बाद गांधी से प्रेरित ओबामा क्या करते हैं, यह देखने वाली बात होगी।