Thursday, February 28, 2019

बहादुर के इंतजार में देश

ब सामना खुद से ज्यादा ताकतवर दुश्मन से हो तो कलेजा मजबूत चाहिए। कुछ ऐसा करके दिखाया विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान ने। अब आप सोच रहे होंगे कि पाकिस्तान तो भारत से हर मामले में कमजोर हैं फिर मैं ऐसा क्यों कह रहा हूं?  आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि जिस लड़ाकू विमान को फायटर पायलट अभिनंदन उड़ा रहे थे उसका सामना पाकिस्तान के जिस लड़ाकू विमान से था वो कहीं ज्यादा तकनीक से लैस था। मिग-21 को उड़ा रहे अभिनंदन ये अच्छी तरह से जानते थे कि वो जिस विमान से आज दुश्मन से भिड़ने जा रहे हैं उसे कुछ साल बाद रिटायर किया जाना है। बावजूद इसके, विंग कमांडर ने देश की खातिर दुश्मन से भिड़ना स्वीकार किया। मिग-21 से हमला करते हुए उन्होंने दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दिया और एक एफ-16 विमान गिरा दिया लेकिन खुद भी हमले का शिकार हो गए और उन्हें पैराशूट से इजेक्ट होना पड़ा।

 इजेक्ट होने के बाद वो जिस गांव में उतरे वहां भीड़ ने घेर लिया और मारपीट की लेकिन इस बहादुर जवान ने अपनी सर्विस रिवाल्वर का इस्तेमाल निहत्थे लोगों पर नहीं किया। सिर्फ हवाई फायर से चेतावनी दी। वो भारतीय सीमा की और आधा किलोमीटर दौड़े भी लेकिन कामयाब ना हो सके। बीच में एक तालाब में कुछ जरूरी कागजात छिपा दिए ताकि दुश्मन को उनके इरादों की जानकारी ना हो सके। वहीं सवाल जवाब के दौरान उन्होंने साफ कह दिया कि वो कुछ नहीं बता सकते। 

बड़ा सवाल ये है कि एफ-16 का मुकाबला करने के लिए मिग-21 को क्यों भेजा गया? हालांकि कहा ये गया कि ये एहतियात के तौर पर भेजा गया मगर एके-47 का सामना करने के लिए दोनाली बंदूक का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। वायु सेना में होने वाले प्लेन क्रैश और कैजुअल्टी में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी MiG  विमानों की है। यही वजह है कि इन्हें Flying Coffin यानी उड़ते ताबूत भी कहा जाता है। इनमें भी MiG-21 का नाम सबसे ज्यादा खराब है।  बड़ा सवाल है  क्या आज भी इन उड़ते ताबूतों को उड़ते रहने देना चाहिए। क्या एक जवान की जान की कीमत इतनी सस्ती हो गई है कि आज भी पुराने जमाने के ताबूत उड़ रह हैं?