Thursday, October 7, 2010

जज्बातों का तूफान

वो कहते हैं, जमाने की निगाहों से बचकर रहा करो, प्यार का इजहार खुलकर कर मत किया करो।
हम कहते हैं, जज्बातों के तूफान को रोक सकें, ऐसे मर्ज का इलाज भी बता दिया करो।

वो कहते हैं, निगाहें इल्जाम लगा देंगी, भरे बाजार नीलाम करा देंगी।
हम कहते हैं, निगाहें कोई शाही फरमान नहीं, जो क़िस्मत का फैसला सुना देंगी।

वो कहते हैं, अभी सही वक्त नहीं है महोब्बत का, दिल के जज्बातों को लगाम दिया करो।
हम कहते हैं, महोब्बत पर कैसे कसी जाती है, जरा हमें भी समझा दिया करो।

वो कहते हैं, मुलाकात नहीं हो सकती, कोई देख लेगा तो रुसवाई होगी।
हम कहते हैं, महोब्बत है वो मुक़द्दस आलम, जिससे ख़ुदा की इबादत होगी।

वो कहते हैं, तुम पर यक़ीन नहीं होता, दिल में महोब्बत का चिराग यूं रोशन नहीं होता।
हम कहते हैं, तुम पर मर मिटे हैं जानम, इससे बड़ा सुबूत कोई और नहीं होता।

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