इतना मत तड़पा कि आंख में आंसू आए, इतना कहर मत बरपा कि जान निकल जाए
तू इतनी पत्थर दिल क्यूं है, तुझसे मिला ये दर्द इतना हसीन क्यूं है
तेरी आंखों में एक वादा देखा था, मेरे दिल ने एक सपना देखा था
सोचा नहीं था ये घड़ी भी आएगी, जो जीते जी बेदम कर जाएगी
क्या कसूर है मेरा अब ये भी समझा दे, तेरे दिल में छुपी मेरी औकात भी समझा दे
तुझे फरेब कहुं या दर्द की देवी कहूं, मुझ जिंदा लाश को भी बता दे
Tuesday, October 19, 2010
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