Friday, December 31, 2010

आया नया साल है...

आया नया साल है, सब कुछ बेमिसाल है
कई जगह हड़ताल है. आया नया साल है

हो रहा बलात्कार है, भ्रष्टाचारी मालमाल है।
मर रहा आम इन्सान है, आया नया साल है

संसद में मचा बवाल है, जेपीसी का सवाल है
विपक्ष बड़ा वाचाल है, आया नया साल है

महंगाई ने किया लाल है, प्याज का भी ख्याल है,
सबसे मंहगी बेचारी दाल है, आया नया साल है

बढ़ रहा शिकार है, नेता बना पिशाच है
खा रहा इंसान है, आया नया साल है

राजनीति की बिसात है, जी का बना जंजाल है
लुट रहा समाज है, आया नया साल है

बढ़ रहा पाप है, सो रहा है भगवान है
थक रहा इन्सान है, आया नया साल है

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