Saturday, December 28, 2019

लंहगे के लालची


खंड एक

अंगद अपने ऑफिस में बैठा काम कर रहा था। अचानक उसके सेलफोन में किसी का वट्सएप मैसेज आया। अंगद ने तुरंत फोन को चेक किया। मैसेज देखकर ये तो पता लग रहा था कि ये मैसेज किसी लड़की ने भेजा है लेकिन मैसेज भेजने वाली कौन है, ये पता नहीं चल रहा था। अंगद ने उस वक्त कोई रिप्लाई नहीं किया और अपने काम में फिर लग गया। शाम को फ्री होकर उसी नंबर पर अंगद ने मैसेज किया। थोड़ी ही देर में रिप्लाय आ गया। मैसेज भेजने वाली कोई और नहीं बल्कि अंगद की मंगेतर पूनम थी। 

"मेरा नंबर कहां से मिला" अंगद ने पूछा।
"भाई की डायरी से लिया है, जब आपके पापा से बात हुई थी तो भाई ने नोट कर लिया था।" पूनम ने जवाब दिया। 
     अंगद ने कुछ ही दिन पहले अपने शहर में ही पूनम देखकर पसंद किया था और हां कर दी थी। दोनों तरफ से हां होने पर अब लड़की वाले रोका करने के लिए लगातार बैचेन हो रहे थे। 
                                  अंगद की हां होने के बाद ये दोनो की पहली बार बार बात हो रही थी जिससे दोनों काफी खुश थे। बातचीत का सिलसिला जब बढने लगा तो दोनों को एक दूसरे की कमियां भी दिखने लगी। एक और जहां अंगद मेट्रो सिटी में जॉब करता था वही पूनम एक छोटे से शहर में स्कूल टीचर थी।पूनम अपने देसी भाषा में बात करती थी लेकिन अंगद के टोकने पर भाषा को सुधारने की कोशिश करती थी। फिर भी दोनों एक दूसरे के अंतर को खुशी के स्वीकार कर चुके थे और सुनहरा सपना भी संजोने लगे थे। पूनम भी बेसब्री से रोका होने का इंतजार कर रही थी। 
   फिर वो दिन भी आ गया जब अंगद के मां-बाप ने रोके का दिन तय कर दिया। तब अंगद से दोबारा पूछा गया तो अंगद ने अपनी मां को साफ बता दिया कि लड़की को परिवार के साथ एडजस्ट होने में दिक्कत आएगी क्योंकि उसका परिवेश अलग है। तब अंंगद की मां ने समझाया कि उसे हम और पढाएंगे तो सब सीख जाएगी। 
           उस दिन पूनम के घर में चहल-पहल थी। सुबह से    
              
                                      


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