Sunday, September 19, 2010
बारिश ने धो दिया
आज सुबह मूसलाधार बारिश हो रही थी। काफी देर तक चलती रही। ऑफिस के लिए निकलते वक्त सोच रहा था कि छाता लगाकर भीगने से बच जाऊंगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं। असली मुसीबत तो यह थी कि सड़को पर जमा हुए पानी से कैसे बचूं? सड़क तो पार करनी ही होती है न। वहां से उड़कर तो जा नहीं सकता। नतीजा यह कि जूते और जुराब सब गीले हो गए। इस वक्त भी गीले मोजे डाल रखे हैं। जूते कुर्सी के नीचे हैं। मजबूरी है। ऑफिस में ना उतार सकता हूं ना ही बदल सकता हूं। दिल्ली का ऐसा हाल है कि कोई भी, कहीं भी धुल सकता है।
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